छत्तीसगढ़ की लोक कलाएँ और उनका सांस्कृतिक महत्व| Chhattisgarh Ki Lok Kala

नमस्कार, आप सभी का हमारे ब्लॉग में स्वागत है। आज हम छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं Chhattisgarh Ki Lok Kala पर चर्चा करेंगे, जिनका भारतीय संस्कृति में एक विशिष्ट स्थान है। 

छत्तीसगढ़ राज्य, जो 1 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया, अपनी सांस्कृतिक विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहां की लोक कलाएं, लोकगीत, लोकनाट्य और लोककथाएं राज्य की सांस्कृतिक धरोहर की पहचान हैं।

दानेश्वर शर्मा जी का परिचय

छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं  Chhattisgarh Ki Lok Kala पर प्रमुख लेखों में से एक की रचना दानेश्वर शर्मा जी ने की है। उनका जन्म 1931 में दुर्ग जिले के मिश्रण ग्राम में हुआ था। वह इस्पात संयंत्र के पूर्व प्रबंधक, साहित्यकार और कवि सम्मेलनों के संचालक थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को विभिन्न विधाओं में प्रस्तुत किया है।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकगीत

छत्तीसगढ़ के लोकगीत अपनी विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें *पंडवानी*, *ददरिया*, *गौरी-गौरा*, और *सुआ गीत* प्रमुख हैं। इन गीतों में सवाल-जवाब का सिलसिला होता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है। ददरिया गीत के दौरान लोग अपने व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे इन गीतों में जीवंतता आती है।

छत्तीसगढ़ के लोकनाट्य

छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य ‘नाचा’ और ‘चंदैनी’ राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग हैं। ‘नाचा’ में पुरुष नाचते और गाते हैं, और इसे देखना एक अनोखा अनुभव होता है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध नाचा कलाकारों में स्वर्गीय मनराज यादव और लालू राम जी का नाम आता है, जिन्होंने इस कला को देश और विदेश में प्रसिद्ध किया।

आदिवासी नृत्य और परंपराएं

छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में विभिन्न प्रकार के लोकनृत्य प्रचलित हैं, जो उनके सामाजिक और धार्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। इनमें *रावत नाच*, *गौर नृत्य*, और *सुआ नृत्य* प्रमुख हैं। इन नृत्यों के माध्यम से वे अपने पारंपरिक त्यौहारों और रीति-रिवाजों को संजोते हैं।

प्रश्न-उत्तर

1. छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकगीत कौन से हैं?

   – ददरिया, पंडवानी, गौरी-गौरा, सुआ गीत, और जसगीत।

2. नाचा के प्रमुख कलाकार कौन थे?

   – स्वर्गीय मनराज यादव और लालू राम जी।

3. लोकनाट्य ‘चंदैनी’ का क्या महत्व है?

   – ‘चंदैनी’ में लोरिक और चंद्र की प्रणय गाथा प्रस्तुत की जाती है, जो बहुत ही प्रसिद्ध है।

4. रावत नाच कब किया जाता है?

   – रावत नाच दीवाली के समय किया जाता है, जो छत्तीसगढ़ के रावत समुदाय का प्रमुख नृत्य है।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ की लोक कलाएँ  Chhattisgarh Ki Lok Kala राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संजोती हैं और उनके माध्यम से हमें भारत की विविध सांस्कृतिक पहचान का एहसास होता है। छत्तीसगढ़ के लोकगीत, लोकनाट्य, और लोककथाएं राज्य के लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और उनकी भावनाओं और विचारों को प्रकट करती हैं।

अगर आपको यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब करना न भूलें। धन्यवाद!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top